
बिहार में गुरुकुल परंपरा की तर्ज पर संगीत और कला की शिक्षा दी जाएगी। कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने इसकी जिम्मेदारी तीन गुरुओं को सौंपी है, जो आठ शिष्यों को संगीत और कला की शिक्षा देंगे।
इसमें बेगूसराय के लक्ष्मी प्रसाद यादव बहुरा गोडिऩ लोक गाथा गायन की शिक्षा देंगे। यह 400 साल पुरानी प्रेम गाथा है, जो बेगूसराय व आसपास के इलाके में प्रचलित है। इसके अलावा समस्तीपुर के रामचंद्र राम बांस शिल्प कला और पटना के मनोरंजन ओझा भोजपुरी लोकगीतों की शिक्षा देंगे। इसके लिए गुरुओं के साथ शिष्यों को भी हर माह निश्चित राशि दी जाएगी।
22 महीने तक चलेगी यह योजना
राज्य की सांस्कृतिक निदेशक करुणा कुमारी ने बताया कि पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक परिषद की यह योजना करीब 22 महीने तक चलेगी। इसी माह जून के तीसरे सप्ताह से इसकी शुरुआत होगी जो मई, 2024 तक जारी रहेगी। गुरुकुल परंपरा के तहत गुरु अपने स्तर से शिष्यों का चयन करेंगे।
गुरुकुल (GURUKUL) की तरह ही गुरु के द्वारा तय की गई जगहों पर शिष्यों को जाकर शिक्षा ग्रहण करनी होगी। हर माह प्रत्येक गुरु को कम से कम 12 सत्र का आयोजन अनिवार्य रूप से करना होगा। इसके साथ ही इसकी रिपोर्ट डाक्यूमेंट रूप में विभाग को भी भेजनी होगी।
03 गुरुओं का किया गया चयन
24 शिष्यों को मिलेगी शिक्षा
22 माह तक चलेगी योजना
गुरु, संगत व शिष्य तीनों को मानदेय
गुरुकुल परंपरा के तहत दी जाने वाली शिक्षा के तहत गुरुओं के साथ-साथ संगत करने वाले सहयोगी और शिक्षा ग्रहण करने वाले शिष्यों को भी विभाग की ओर से राशि दी जाएगी। गुरुओं को प्रत्येक माह साढ़े सात हजार रुपये जबकि संगत करने वालों को साढ़े तीन हजार रुपये मासिक मानदेय मिलेगा। इसके साथ ही प्रत्येक शिष्य को 1500-1500 रुपये दिए जाएंगे। फिलहाल यह तय नहीं कि इस योजना को आगे विस्तार दिया जाएगा, या नहीं।
Iss Education Stytem Ke Bare Mei Aap Ka Kya Khayal Hai, Comment Mei Jarur Bataye!
📣 Vaishali Se Hai is now available on Facebook & FB Group, Instagram, and Google News. Get the more latest news & stories updates, also you can join us for WhatsApp broadcast … to get updated!