
बिहार में ड्राइविंग टेस्ट में 99.56 प्रतिशत पास करने वाले ड्राइवर गाड़ी चलाते समय सड़कों पर फेल हो रहे हैं। आंकड़े गवाह हैं कि बिहार में 80 फीसदी सड़क हादसों में वाहन चालकों की गलती है।
इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि डीटीओ कार्यालय ड्राइविंग लाइसेंस कैसे जारी कर रहा है। अफसरों की सुस्ती का नतीजा है कि सरकार के प्रयासों के बावजूद बिहार में सड़क हादसों में कमी नहीं आ रही है।
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक लाख 25 हजार 921 ने आवेदन दिए। इसमें से एक लाख 25 हजार 379 चालक पास हो चुके हैं। मात्र 542 ही फेल हुए हैं। इनमें से भी सबसे अधिक 424 आवेदक पटना के हैं। राज्य के 20 जिले ऐसे हैं जहां ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कराने वाले एक भी फेल नहीं हुए हैं।
लाइसेंस जारी करने में मुजफ्फरपुर फर्स्ट
आसानी से समझा जा सकता है कि किस तरह धड़ल्ले से ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो रहा है। पटना से कम आबादी होने के बावजूद मुजफ्फरपुर, गया, दरभंगा, भागलपुर, गोपालगंज, समस्तीपुर, बक्सर, भभुआ में अधिक लाइसेंस जारी हो रहे हैं। राज्य में सबसे अधिक लाइसेंस जारी करने वाला मुजफ्फरपुर है। जिले में 15 हजार 442 आवेदकों ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था। आश्चर्यजनक यह है कि मुजफ्फरपुर डीटीओ कार्यालय ने एक भी आवेदक को निराश नहीं किया। कमाल यह कि एक भी आवेदक फेल नहीं हुए। दूसरे स्थान पर भागलपुर है। जिले में 7669 आवेदन आए और यहां भी एक आवेदक फेल नहीं हुआ, जबकि पटना में मात्र 3421 आवेदन आए और इनमें से 542 आवेदक फेल कर गए।
जिलावार ड्राइविंग लाइसेंस
जिला आवेदन पास फेल
मुजफ्फरपुर 15,442 15442 00
भागलपुर 7669 7669 00
गया 4552 4552 00
भोजपुर 3960 3958 02
छपरा 4970 4970 00
पटना 3421 2997 542
दरभंगा 6437 6436 01
औरंगाबाद 428 348 80
गोपालगंज 6238 6234 04
वैशाली 7437 7437 00
बक्सर 5931 5930 01
अरवल 3305 3304 01
(आंकड़े वित्तीय वर्ष 2022-23)
ऑटोमेटेड ट्रैक है प्रभावी
नौसिखिया वाहन चालकों को पूर्व से ही कुशल प्रशिक्षण मिल सके, इसके लिए राज्य में मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोले जा रहे हैं। प्रशिक्षण के अभाव में वाहन चालक अक्सर गलतियां करते हैं। ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में ट्रैक पर ट्रेनिंग देने के साथ ही सिमुलेटर आधारित ट्रेनिंग दी जाएगी। सभी मोटर ड्राइवर ट्रेंनिंग स्कूल में सिमुलेटर रखना एवं सिमुलेटर बेस्ड ट्रेनिंग देना अनिवार्य किया गया है। सिमुलेटर के जरिए चालकों को कम्प्यूटर से जुड़े स्क्रीन पर वर्चुअल ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जाती है। बिहार के हर जिले में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का निर्माण होना है। अभी औरंगाबाद और पटना में यह सुविधा है। यही कारण है कि इन दोनों जिलों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।
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